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Wednesday, 13 August 2025

इंचार्ज हेड शिक्षकों को मिले पद के अनुसार वेतन और एरियर : सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
- 173 पेज की SLP दायर करते हुए मुख्य तर्क दिए:
  1. किसी भी शिक्षक को प्रशासनिक आदेश से प्रधानाध्यापक का चार्ज नहीं दिया गया 
  2. RTE Act, 2009 की धारा 25 के अनुसार कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों में प्रधानाध्यापक की आवश्यकता ही नहीं 
  3. U.P. Basic Education Act, 1972 में इंचार्ज/ऑफिसिएटिंग प्रधानाध्यापक नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं 

सुप्रीम कोर्ट में दिलचस्प सुनवाई:

कोर्ट की सख्त टिप्पणियाँ-
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के तर्कों को निम्नलिखित शब्दों में खारिज किया:

>शिक्षकों का शोषण बंद कीजिए! हमारे देश का शिक्षा तंत्र पहले ही सबसे खराब स्थिति में है, और आप बिना हेड टीचर्स के विद्यालय चला रहे हैं!"

मुख्य बहस के बिंदु-
1. नियमावली का प्रावधान*: शिक्षकों की ओर से पेश अधिवक्ता ने नियमावली के पेज 70, पैराग्राफ 6 का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि सीनियर-मोस्ट शिक्षक से हेडमास्टर का कार्य लिया जाएगा।
2. कार्य और वेतन का संबंध: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति उच्च पद का कार्य कर रहा है तो उसे उस पद का वेतन मिलना चाहिए।
3. प्रशासनिक लापरवाही: कोर्ट ने सरकार से पूछा कि यदि नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति नहीं हो रही है, तो इंचार्ज हेडमास्टरों को प्रमोशन क्यों नहीं दिया जा रहा? 

सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय (13 अगस्त 2025)

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में:

1. SLP खारिज की और हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा
2. वेतन समानता* का सिद्धांत स्थापित किया कि कार्य के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए,
3. बकाया राशि देने का निर्देश दिया, जो 31 मई 2014 से देय होगी,
4. शोषण रोकने के लिए सरकार को कड़ा संदेश दिया 

निर्णय के व्यापक प्रभाव:

शिक्षकों पर प्रभाव-
- लगभग *50,000+ इंचार्ज हेडमास्टरों को लाभ
- 6-8 वर्षों का बकाया वेतन मिलेगा
- मनोबल बढ़ने से शिक्षा गुणवत्ता में सुधार की संभावना

शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव-
- राज्य सरकार को अब या तो:
  - नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति करनी होगी *या*
  - इंचार्ज हेडमास्टरों को पूरा वेतन देना होगा
- विद्यालय प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ेगी
- शिक्षकों के अधिकारों के प्रति जागरूकता 

 न्यायिक महत्व-
- *"कार्य के अनुरूप वेतन"* का सिद्धांत स्थापित
- सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के अधिकारों की मजबूत न्यायिक सुरक्षा
- भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल

🚨लंबित मुद्दे और भविष्य की चुनौतियाँ-

वित्तीय बोझ-
- राज्य सरकार पर करोड़ों रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ
- बकाया वेतन का भुगतान कैसे होगा, यह एक बड़ा सवाल?

प्रशासनिक सुधार-
- नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता
- TET योग्यता संबंधी विवादों का समाधान 

 निष्कर्ष: एक न्यायिक क्रांति-

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