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Friday, 22 August 2025

प्रेरणा पोर्टल” पर विभाग से प्राप्त टैबलेट/सिम जानकारी भरने की स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया

*प्रेरणा पोर्टल” पर विभाग से प्राप्त टैबलेट/सिम जानकारी भरने की स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया:*👇

* *1. अपने टैबलेट में *#06# डायल करें।*

_स्क्रीन पर IMEI दिखेगा; IMEI 1नोट कर लें।_

* 2. ब्राउज़र में prernaup.in टाइप करके होम पेज खोलें।

* 3. *Bank Data Upload* सेक्शन में जाएँ और *Teachers Login* पर क्लिक करें।

* 4. *New Registration 2025-26* चुनें।

* 5. अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें, OTP भरें, और *Login पर क्लिक करें।*

* 6. स्क्रीन के बाएँ मेन्यू से *टैबलेट/सिम इनफार्मेशन* पर क्लिक करें।

* 7. पूछे गए प्रश्न *“क्या आपके विद्यालय में टैबलेट प्राप्त हुए हैं?”* में:

_यदि मिले हैं तो हाँ (Yes) चुनें, नहीं मिले तो नहीं (No) चुनें।_

* 8. हाँ चुनने पर, *आपके विद्यालय को जितने टैबलेट मिले हैं वही संख्या चुनें।*

* 9. अब प्रत्येक टैबलेट के लिए नीचे दी जानकारी भरें:

IMEI नंबर 
SIM नंबर 
SIM कंपनी का नाम (जैसे Jio/Airte)

* 10. सारी प्रविष्टियाँ ध्यान से जाँच लें (अंकों में स्पेस/डैश न दें), फिर *Save/Submit* पर क्लिक करें।

Sunday, 17 August 2025

LT Grade 2017 और TET विवाद – न्यायालय का निर्णय

LT Grade 2017 और TET विवाद – न्यायालय का निर्णय
मामला

याचिकाकर्ता Mohd. Tasleem व अन्य ने दिनांक 21.12.2016 को जारी विज्ञापन को चुनौती दी थी। इस विज्ञापन में 9342 L.T./Trained Graduate Teacher पदों की भर्ती का उल्लेख था।

याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि चूँकि ये पद कक्षा 6 से 10 तक पढ़ाने के लिए हैं, इसलिए इसमें TET (Teacher Eligibility Test) को अनिवार्य योग्यता के रूप में शामिल किया जाना चाहिए था।

राज्य सरकार का पक्ष:

सरकार ने स्पष्ट किया कि यह भर्ती केवल कक्षा 9 और 10 के लिए है, न कि कक्षा 6 से 8 के लिए।
चूँकि TET की अनिवार्यता सिर्फ कक्षा 6 से 8 की नियुक्तियों पर लागू होती है, इसलिए यहाँ TET आवश्यक नहीं है।

न्यायालय का निष्कर्ष:
विज्ञापन केवल कक्षा 9-10 के लिए मान्य है।
TET की आवश्यकता कक्षा 6-8 में होती है, इसलिए यहाँ विवाद का कोई आधार नहीं है।
परिणामस्वरूप, याचिका को निस्तारित/खारिज कर दिया गया।

👉 यह आदेश दिनांक 28 फरवरी 2017 को मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी. भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने पारित किया।

👇👇👇👇👇
विशेष टिप्पणी 

 अपनी बात सबूत और तथ्यों के साथ रखते हैं।

LT Grade 2017 में उठे इस विवाद को कोर्ट ने पूरी तरह खारिज कर दिया।


आप चाहें तो पूरा जजमेंट पढ़ सकते हैं।
इसलिए आप पूरी तरह निश्चिंत होकर अपनी Answer Writing और तैयारी पर ध्यान दें।

✨ साफ संदेश: LT Grade भर्ती में TET की कोई अनिवार्यता नहीं है।

Wednesday, 13 August 2025

इंचार्ज हेड शिक्षकों को मिले पद के अनुसार वेतन और एरियर : सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
- 173 पेज की SLP दायर करते हुए मुख्य तर्क दिए:
  1. किसी भी शिक्षक को प्रशासनिक आदेश से प्रधानाध्यापक का चार्ज नहीं दिया गया 
  2. RTE Act, 2009 की धारा 25 के अनुसार कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों में प्रधानाध्यापक की आवश्यकता ही नहीं 
  3. U.P. Basic Education Act, 1972 में इंचार्ज/ऑफिसिएटिंग प्रधानाध्यापक नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं 

सुप्रीम कोर्ट में दिलचस्प सुनवाई:

कोर्ट की सख्त टिप्पणियाँ-
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के तर्कों को निम्नलिखित शब्दों में खारिज किया:

>शिक्षकों का शोषण बंद कीजिए! हमारे देश का शिक्षा तंत्र पहले ही सबसे खराब स्थिति में है, और आप बिना हेड टीचर्स के विद्यालय चला रहे हैं!"

मुख्य बहस के बिंदु-
1. नियमावली का प्रावधान*: शिक्षकों की ओर से पेश अधिवक्ता ने नियमावली के पेज 70, पैराग्राफ 6 का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि सीनियर-मोस्ट शिक्षक से हेडमास्टर का कार्य लिया जाएगा।
2. कार्य और वेतन का संबंध: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति उच्च पद का कार्य कर रहा है तो उसे उस पद का वेतन मिलना चाहिए।
3. प्रशासनिक लापरवाही: कोर्ट ने सरकार से पूछा कि यदि नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति नहीं हो रही है, तो इंचार्ज हेडमास्टरों को प्रमोशन क्यों नहीं दिया जा रहा? 

सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय (13 अगस्त 2025)

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में:

1. SLP खारिज की और हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा
2. वेतन समानता* का सिद्धांत स्थापित किया कि कार्य के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए,
3. बकाया राशि देने का निर्देश दिया, जो 31 मई 2014 से देय होगी,
4. शोषण रोकने के लिए सरकार को कड़ा संदेश दिया 

निर्णय के व्यापक प्रभाव:

शिक्षकों पर प्रभाव-
- लगभग *50,000+ इंचार्ज हेडमास्टरों को लाभ
- 6-8 वर्षों का बकाया वेतन मिलेगा
- मनोबल बढ़ने से शिक्षा गुणवत्ता में सुधार की संभावना

शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव-
- राज्य सरकार को अब या तो:
  - नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति करनी होगी *या*
  - इंचार्ज हेडमास्टरों को पूरा वेतन देना होगा
- विद्यालय प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ेगी
- शिक्षकों के अधिकारों के प्रति जागरूकता 

 न्यायिक महत्व-
- *"कार्य के अनुरूप वेतन"* का सिद्धांत स्थापित
- सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के अधिकारों की मजबूत न्यायिक सुरक्षा
- भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल

🚨लंबित मुद्दे और भविष्य की चुनौतियाँ-

वित्तीय बोझ-
- राज्य सरकार पर करोड़ों रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ
- बकाया वेतन का भुगतान कैसे होगा, यह एक बड़ा सवाल?

प्रशासनिक सुधार-
- नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता
- TET योग्यता संबंधी विवादों का समाधान 

 निष्कर्ष: एक न्यायिक क्रांति-

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: इंचार्ज हेडमास्टरों को मिलेगा पूरा वेतन और बकाया


*📜 परिचय: एक न्यायिक मील का पत्थर*

13 अगस्त 2025 का दिन उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हजारों इंचार्ज हेडमास्टरों के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें इंचार्ज हेडमास्टरों को हेडमास्टर के समान वेतन देने का निर्देश दिया गया था। यह निर्णय न केवल शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और न्याय का नया मानदंड भी स्थापित करता है। 👨‍⚖️📚

* ⚖️ *मामले की विस्तृत पृष्ठभूमि*

*📌 मूल विवाद का सार*
- उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक अध्यापकों को "इंचार्ज हेडमास्टर" का दायित्व सौंपा गया
- ये शिक्षक हेडमास्टर के सभी कार्य करते थे, लेकिन उन्हें केवल सहायक अध्यापक का वेतन मिलता था
- त्रिपुरारी दुबे और अन्य शिक्षकों ने इस अन्याय के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया 

*🏛️ हाईकोर्ट का ऐतिहासिक आदेश (30 अप्रैल 2025)*
- इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया: *"कार्य के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए"*
- निर्णय में कहा गया कि यदि कोई शिक्षक हेडमास्टर की जिम्मेदारी निभा रहा है, तो उसे उस पद का वेतन मिलना चाहिए
- कोर्ट ने राज्य सरकार को इन शिक्षकों को हेडमास्टर के वेतनमान और बकाया राशि देने का निर्देश दिया 

 🔄 *राज्य सरकार की प्रतिक्रिया*
- उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
- 173 पेज की SLP दायर करते हुए मुख्य तर्क दिए:
  1. किसी भी शिक्षक को प्रशासनिक आदेश से प्रधानाध्यापक का चार्ज नहीं दिया गया 
  2. RTE Act, 2009 की धारा 25 के अनुसार कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों में प्रधानाध्यापक की आवश्यकता ही नहीं 
  3. U.P. Basic Education Act, 1972 में इंचार्ज/ऑफिसिएटिंग प्रधानाध्यापक नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं 

🏛️ *सुप्रीम कोर्ट में दिलचस्प सुनवाई*

👨‍⚖️ *कोर्ट की सख्त टिप्पणियाँ*
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के तर्कों को निम्नलिखित शब्दों में खारिज किया:

> *"शिक्षकों का शोषण बंद कीजिए! हमारे देश का शिक्षा तंत्र पहले ही सबसे खराब स्थिति में है, और आप बिना हेड टीचर्स के विद्यालय चला रहे हैं!"*

🔍 *मुख्य बहस के बिंदु*
1. *नियमावली का प्रावधान*: शिक्षकों की ओर से पेश अधिवक्ता ने नियमावली के पेज 70, पैराग्राफ 6 का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि सीनियर-मोस्ट शिक्षक से हेडमास्टर का कार्य लिया जाएगा।
2. *कार्य और वेतन का संबंध*: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति उच्च पद का कार्य कर रहा है तो उसे उस पद का वेतन मिलना चाहिए।
3. *प्रशासनिक लापरवाही*: कोर्ट ने सरकार से पूछा कि यदि नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति नहीं हो रही है, तो इंचार्ज हेडमास्टरों को प्रमोशन क्यों नहीं दिया जा रहा? 

✍️ *सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय (13 अगस्त 2025)*

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में:

1. *SLP खारिज* की और हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा ✅
2. *वेतन समानता* का सिद्धांत स्थापित किया कि कार्य के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए 💰
3. *बकाया राशि* देने का निर्देश दिया, जो 31 मई 2014 से देय होगी 📅
4. *शोषण रोकने* के लिए सरकार को कड़ा संदेश दिया ⚠️ 

📊 *निर्णय के व्यापक प्रभाव*

 👩‍🏫 *शिक्षकों पर प्रभाव*
- लगभग *50,000+* इंचार्ज हेडमास्टरों को लाभ
- *6-8 वर्षों* का बकाया वेतन मिलेगा
- मनोबल बढ़ने से शिक्षा गुणवत्ता में सुधार की संभावना 📈

🏫 *शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव*
- राज्य सरकार को अब या तो:
  - नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति करनी होगी *या*
  - इंचार्ज हेडमास्टरों को पूरा वेतन देना होगा
- विद्यालय प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ेगी
- शिक्षकों के अधिकारों के प्रति जागरूकता 🌟 

 ⚖️ *न्यायिक महत्व*
- *"कार्य के अनुरूप वेतन"* का सिद्धांत स्थापित
- सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के अधिकारों की मजबूत न्यायिक सुरक्षा
- भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल 👨‍⚖️

🚨 *लंबित मुद्दे और भविष्य की चुनौतियाँ*

💰 *वित्तीय बोझ*
- राज्य सरकार पर *करोड़ों रुपये* का अतिरिक्त वित्तीय बोझ
- बकाया वेतन का भुगतान कैसे होगा, यह एक बड़ा सवाल ❓

🏛️ *प्रशासनिक सुधार*
- नियमित हेडमास्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता
- TET योग्यता संबंधी विवादों का समाधान 

 📝 *निष्कर्ष: एक न्यायिक क्रांति*

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत है, बल्कि पूरे देश में कार्य और वेतन की समानता के सिद्धांत को मजबूती प्रदान करता है। यह फैसला शिक्षा के क्षेत्र में न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ✊

कोर्ट की यह टिप्पणी कि *"शिक्षकों का शोषण बंद कीजिए"* सभी राज्य सरकारों के लिए एक सबक है कि वे शिक्षकों के अधिकारों का सम्मान करें और उन्हें उनके योगदान के अनुरूप पारिश्रमिक दें। शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं, और उनके साथ न्याय होना हर सभ्य समाज का कर्तव्य है। 🇮🇳📚

> *"गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।"*  
> - संत कबीर

यह निर्णय वास्तव में गुरुओं (शिक्षकों) के प्रति हमारे समाज के ऋण को चुकाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।